Yug Purush

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अंतरिक्ष: A LONER... भाग -3

भाग -3 ~Spacewalk



मेरी माँ, मेरे सपनो की दुनिया के अंधकार को दूर करने वाली रोशनी थी । जिनका दामन थाम कर मैं बड़ा हुआ । उनके आँचल ने ठण्ड लगने पर मुझे  ऊष्मा प्रदान की  और जब मैं खुद से या किसी बात से गुस्सा हुआ तो उनके उसी आँचल ने मुझे शीतलता दी । मेरी माँ को एक मॉल में नौकरी मिली, पर ये हमारे दो कमरों  के रूम का  रेंट और मेरी पढाई का खर्च उठाने के लिए पर्याप्त नहीं था, इसलिए उन्होंने मॉल की नौकरी करने के बाद बच्चो के पार्क में तरह –तरह के जानवरों के ड्रेस पहन कर चंद डॉलर के लिए लोगो का मनोरंजन भी किया, जहा जिनका मन करता वो मूड होने पर या तो अपशब्द कहते या फिर मजाक –मजाक में कोई चीज फेक कर मार देते और जिन्हें पता चल जाता की जानवर के गेटअप में एक महिला है तो वो अभद्र हरकते करने से भी पीछे नहीं हटते थे । इधर  मेरी जिंदगी में सिवाय पढाई के कोई और काम नहीं था, मैंने खुद को पूरी तरह इसमें झोक दिया  और जब स्कूल को रेप्रेसेंट करते हुए मैंने कई स्टेट और नेशनल लेवल कम्पटीशन में स्कूल को जीत दिलायी तो मुझे स्कालरशिप मिली , जहा से मेरी राह  थोड़ी आसान हो गई ।


 फिर वो दिन भी आया जब मेरी माँ स्टैनफोर्ड सेन्टर में अपनी आखिरी साँसे ले रही थी  और फिर वो पल भी आया जब उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली । मैं वही उनके पास किसी चमत्कार की आशा में उनका हाथ  थामे बैठा हुआ उन्हें देख रहा था । किसी अपने का दुनिया छोड़ कर जाना अलग है और किसी अपने को  एक –एक पल आखिरी साँसे लेते हुए देखना, उसकी आँखों से पल –पल रोशनी जाते हुए देखना , बार –बार उस जाते हुए शख्स के मुख से अपना नाम सुनना............... खैर,


 उनके  इस दुनिया से चले जाने के घंटो बाद तक मैं रूम को अन्दर से लॉक करके वही उनके पास बैठा उनसे बाते करता रहा , उन्हें अपना दुःख-दर्द  सुनाने लगा, क्यूंकि माँ तो माँ होती है । क्या पता मुझे दुःख में देख कर वो शायद फिर से अपनी आँखे खोल ले और  मुझे फिर से अपने सीने से चिपका ले । लेकिन आज ऐसा नहीं होने वाला था और हुआ भी नहीं । लेकिन मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी, उनके चले जाने के घंटो बाद तक मैं वही उनके पास इसी आस बैठा रहा और मुझे कोई डिस्टर्ब ना करे, इसलिए मैंने दरवाजा भी अन्दर से लॉक भी कर दिया था । मैं तब तक अन्दर बैठा रहा , जब तक हॉस्पिटल स्टाफ ने गेट तोड़कर मुझे वहा से जबरदस्ती दूर नहीं किया ।

 

 दो हफ्ते बाद  मुझे ISS के लिए रवाना होना था पर अपनी माँ को ऐसे, इस हाल में देख अपने सपनो की बलि देते हुए मैंने अपना नाम वापस लेने का सोच लिया था, लेकिन जैसा कि मैंने कहा ... माँ तो फिर माँ होती है, उन्होंने मेरे ISS जाने से दो हफ्ते पहले ही अपना जीवन त्याग कर मेरे सपनो को पंख दे दिया था । वो इस संसार से जाते हुए भी मेरी जिंदगी संवार गयी थी , ठीक वैसे ही जैसे बचपन में मुझे अपने गोद में बिठा कर मेरे बाल संवारा करती थी । मेरी माँ के इस दुनिया से चले जाने के उपरांत मैं चीख –चीख कर रोया तो नहीं, पर जब हॉस्पिटल स्टाफ मुझे मेरी माँ से जबरदस्ती दूर ले जा रहे थे तो मेरे मुह से सिर्फ एक लाइन निकली....

 

“I ।ove You......  Mommy....”

 

पर आज हमेशा की तरह दूसरी तरफ से “I love you too… Aksh” वाला जवाब नहीं आया और जैसे ही मैंने आखिरी बार अपनी माँ को Mommy  कहा , मेरी बांयी आँख से आंसू की एक बूँद अपने आप निकल गई । काश की कोई तरीका होता, कोई रास्ता होता मेरी माँ को वापस लाने का... काश की  कोई पता , कोई ठिकाना होता  यमराज का...  जहा से मैं उन्हें वापस ला सकता तो मैं अपनी माँ को बचाने के लिए अन्तरिक्ष के अंतिम छोर तक चला जाता, फिर भले ही ऐसा करते हुए मैं इस विशाल काले ब्रह्माण्ड में धुल में परिवर्तित हो जाता । मुझे कोई परवाह नहीं ।

 

“who’s  she….”मेरे स्क्रीन में एक फोटो देखकर ऑरोरा  मुझसे पूछी

“My Mommy… जिन्होंने अपना सारा जीवन मेरे लिए जिया और जाते –जाते भी मेरे सपनो को पंख देकर गई...”

 

Day-40 ~ SPACEWAK

“इतने उखड़े हुए क्यों हो तुम ...?”

 

फाइनली वो दिन आया , जिसके लिए मैं यहाँ आया था... यानी Spacewa।k यानी अंतरिक्ष में चहलकदमी । ऑरोरा  ने निक की बजाय मुझे अपने साथ Spacewa।k करने का निर्णय लिया था । ISS के रेडियेटर -1  बाहरी अन्तरिक्ष की  ऊष्मा विकिरणों को अच्छी तरह से विसर्जित  नहीं कर पा रहा था , जिसके कारण रेडियेटर-1  हद से ज्यादा  गरम हो रहा था ।  रेडियेटर के गरम होने की कंप्लेन कई दिनों से थी और आज वहा नीचे पृथ्वी से स्पेस सेन्टर द्वारा क्लीयरेंस मिलने के बाद हम पूरी तरह तैयार थे ।


Spacewa।k के एक्सपीरियंस को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, मतलब हमारी दुनिया में जहा 60-70 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से ड्राइव करना गैरकानूनी होता है । वही यहाँ पृथ्वी से इतनी दूर 17000 मील प्रति घंटे की स्पीड से पृथ्वी के चक्कर लगा रहे ISS के बाहर , जहा एक धुल का छोटा सा कण भी यदि आपसे टकरा जाए तो, जान पर बन सकती है, यहाँ ऐसा करना बिल्कुल कानूनी था और शायद इंसानियत भी........? Spacewa।k के लिए बाहर खुले आकाश में निकलने से पहले प्रत्येक एस्ट्रोनॉट खुद को एक  रस्सीनुमा संरचना से जोड़ देता है, ताकि वो ISS से जुडा रहे और कोई झटका वगेरह उसे ISS से दूर फेक दे । इस रस्सीनुमा संरचना को Tether Rope कहते है । तो खुद को Tether Rope से अटैच करके ऑरोरा  ने ISS का हैच(दरवाजा) खोला और बाहर अंतहीन निर्वात में वो तैरते हुए  निकली, उसके पीछे –पीछे मैं भी उसके नक़्शे कदम पर ISS से बाहर आया । हम दोनों रेडियेटर -1 के पास पहुचे । जिस लेटेस्ट EMV-X स्पेससूट की टेस्टिंग के लिए मुझे यहाँ भेजा गया था, उसकी बजाय मैं नार्मल EMV स्पेससूट में ही था, ऐसा करने का फरमान ऊपर से आया था ... मेरा मतलब... नीचे से । जिसके कारण मैं थोडा उदास भी था ।

 

“you ok…??”रेडियेटर के पैनल के पास रेडिएशन लेवल की रीडिंग लेते हुए ऑरोरा  मुझसे पूछी...

“yeahh”

“फिर ... इतने उखड़े हुए क्यों हो तुम ...?”कूलिंग पैनल के पास जाते हुए ऑरोरा  ने मुझसे अगला सवाल किया

“मैं ठीक हूँ...”

“मुझे पता है... डायरेक्टर ने तुम्हे EMV-X  स्पेससूट की परमिशन नहीं दी , इसलिए तुम्हारा मन थोडा उदास है ...”

 

और मैं एक बार फिर से शांत हो गया , इसलिए नहीं की मुझे लोगो से बात –चीत करना पसंद नहीं या खुद लोग ही मुझे पसंद नहीं । बल्कि इसलिए, क्यूंकि ऑरोरा  ने अभी –अभी जो कहा था ... उसने एक बार फिर मेरे फिजिक्स के पुरे कांसेप्ट को हिला दिया था . मेरा मतलब... कोई इंसान, किसी दुसरे इंसान की मानसिक स्थिति को इतना सही और सटीक कैसे समझ सकता है...? ऑरोरा  ये कैसे जान गयी की मैं क्यूँ उदास हूँ...?? वो भी इस विशाल वैक्यूम में तैरते हुए सिर्फ  मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन से...?? क्या , लोगो के मनोभाव को समझना इतना आसान है ...? शायद मुझे भी पृथ्वी पर दोस्त बनाना चाहिए था , तब शायद मैं भी ये समझ पाता । मैंने स्पेससूट के हेलमेट में सूर्य की तेज किरणों की चमचमाहट से बचने के लिए हेलमेट  की चमकीली लेयर को पुरे हेलमेट में चढ़ाया ताकि चमकीली लेयर होने के कारण ऑरोरा  मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन को ना देख पाए, इसके उलट मैं उसे पूरी तरह देख सकता था... लेकिन वो नहीं ।

 

“मैंने आपके youtube के विडियो देखे है, जिसमे आप ISS के अन्दर एक एस्ट्रोनॉट की लाइफ कैसे रहती है , वो पृथ्वीवासियों को दिखाती हो...”

“तुमने सच में देखा...? मेरे चैनल को सब्सक्राइब किया ना ..?? और लाइक एंड शेयर भी कर देना ....”मुस्कुराते हुए उसने कहा

“जैसी आपकी आज्ञा । वैसे आपने कभी फ्लैट अर्थ के विचारधारा वाले लोगो के बारे में सोचा है...?? जो पृथ्वी को एकदम फ्लैट मानते है...”मुस्कुराते हुए मैंने सवाल किया

“उनके बारे में क्या सोचना...?”

“मेरा मतलब आपके विडियो फ्लैट अर्थर्स के पुरे विश्वास को चकनाचूर कर रहे है  , जिसमे वो मानव सभ्यता के किसी भी अंतरिक्ष  मिशन को झूठा मानते है और कहते है की ये सब सिर्फ पृथ्वी के लोगो को बेवकूफ बनाने का तरीका है । यहाँ तक कि वो तो ये भी कहते है कि... जो विडियो अंतरिक्ष के हम देखते है.. वो सब महज CGI इफ़ेक्ट और एडिटिंग है ... साथ में वो  पृथ्वी को  फ्लैट मानते है , जबकि आपके वीडियो उनके पुरे विश्वास की धज्जिया उड़ा रहे है ...”


“फिर तो वो मेरे इन विडियो को भी फेक और CGI इफ़ेक्ट मान लेंगे ।  उनका क्या है , वो  तो कुछ भी मान लेते है , ये भी मान ही लेंगे... उनके कभी तुमने जवाब सुने है, किस तरह वो खुद के फालतू थ्योरी को सही साबित करने के लिए कैसे –कैसे तर्क देते है ...?”


“उसे तर्क नहीं , कुतर्क कहते है....”मैंने जवाब दिया और ऑरोरा  के हाथ से रेडिएशन लेवल चेक करने वाले इक्विपमेंट को लेकर रेडियेटर -1 के अपनी तरफ वाले हिस्से की रीडिंग लेने लगा ... हमारे EMV स्पेससूट के हेलमेट में लगे माइक से हम दोनों एक दुसरे से बात कर सकते थे और यदि, EMV –X  स्पेससूट होता तो ...  उसके द्वारा  सीधे पृथ्वी पर किसी से भी बात कर सकते है ।

 

“रेडिएशन लेवल  कम हो रहा है , रिपेयरिंग सक्सेसफुल”ISS के अन्दर से मॉनिटरिंग कर रहे निक ने कहा , जिसके बाद मैंने क्षितिज में सूर्य की ओर देखा और सोचने लगा की क्या ये वही सूर्यदेव है , जिनके किस्से –कहानियाँ मेरी माँ बचपन में मुझे सुनाया करती थी ...?? क्या सच में उस आग में दहकते हुए आकाशीय पिंड  के पीछे कोई है या फिर ये सिर्फ आग का गोला है....? पर इस दौरान मैं ये भूल गया की मैं तो ऑरोरा  से फ्लैट अर्थर्स के बारे में बात कर रहा था । लेकिन वो नहीं भूली थी, उसने हमारी बात –चीत को आगे बढाया ।


“कभी उनके कुतर्क सुनना तुम... अपना सर फोड़ लोगे । सलाम है उनकी सोच को”

“सारा खेल ही तो सोच का है, मैम ... बाकी सच्चाई तो यहाँ सभी जानते है, बस मानते नहीं ...”

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